Essay on Unemployment in Hindi | बेरोजगारी की समस्या पर निबन्ध
प्रस्तावना (Introduction)
बेरोजगारी की समस्या किसी भी देश के लिए एक श्राप से कम नहीं है। भारत जैसा देश जहां की जनसंख्या में सबसे अधिक युवा पाए जाते हैं, वह भी आज बेरोजगारी जैसी समस्या से जूझ रहा है। आज भारत देश के स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हम पूर्ण रोजगार पाने में सफल नहीं हुए हैं। बेरोजगारी की समस्या किसी भी देश के विकास में सबसे बड़ा बाधक है। सभी देशों में युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए अनेक नीतियां बनाई जा रही है परंतु बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भारत में अभी सरकार इसमें पूर्ण रूप से सफल नहीं हुई है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी स्किल डेवलपमेंट यानी कौशल विकास को महत्व देने पर चर्चा की थी जिससे कि बेरोजगारी की समस्या का हल निकाला जा सकता है।
बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
प्रोफेसर पीगू के अनुसार बेरोजगारी की परिभाषा, "एक व्यक्ति को उस समय ही बेरोजगार कहा जाएगा जब उसके पास कोई रोजगार का साधन नहीं है परन्तु वह रोजगार प्राप्त करना चाहता है।"
बेरोजगारी का अर्थ है बे-रोजगार यानी बिना रोजगार के। जब योग्यता होने पर भी कोई व्यक्ति रोजगार पाने में सक्षम न हो तो वह बेरोजगार कहलाता है। बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति काम की खोज में हो और उस काम को करने की योग्यता रखता हो परंतु फिर भी वह काम ढूंढने में असफल हो।
भारत देश में युवाओं की जनसंख्या अधिक होने के कारण बेरोजगारी की समस्या भी अधिक है।
यहां पर लोग योग्य और शिक्षित होने के बाद भी अपनी आजीविका प्राप्त करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
बेरोजगारी के मुख्य कारण (Reasons for Unemployment)
1. जनसंख्या में वृद्धि
भारत जैसे बड़े देशों में जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि वहां हर व्यक्ति का रोजगार प्रदान करना संभव नहीं है।
भारत देश जनसंख्या के मामले में पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर है। एक अनुमान के अनुसार भारत में दिसंबर 2021 में लगभग 5.3 करोड़ लोग बेरोजगार पाए गए। पिछले 2 साल में कोरोनावायरस के कारण लाखों लोगों ने अपनी आजीविका गवा दी। लॉकडाउन लगने की वजह से बहुत सारी कंपनियों में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और बहुत से लोगों की तनख्वाह आधी से भी कम कर दी गई।
2. शिक्षा का अभाव
किसी भी देश में अच्छा रोजगार प्राप्त करने के लिए जो सबसे पहली आवश्यकता होती है वह है शिक्षा। अच्छी शिक्षा हमें अच्छा रोजगार प्राप्त कराती है। परंतु हमारे देश में दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था होने के कारण बेरोजगारी की समस्या देखने को मिल रही है। हमारे देश में किताबी शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाता है जिसके कारण लोग डिग्रियां तो प्राप्त कर लेते हैं परंतु रोजगार से वंचित रह जाते हैं। सरकारी नौकरियों में अधिक कंपटीशन होते हैं जिसकी तैयारी में लाखों विद्यार्थी जुट जाते हैं परंतु उनमें कुछ ही विद्यार्थी एग्जाम पास करके चुने जाते हैं।
3. मशीनीकरण
साइंस और तकनीकी तरक्की के कारण आज बहुत से काम आसान हो गए हैं परंतु इसने बेरोजगारी को भी जन्म दिया है। जो काम करने के लिए पहले दो से तीन लोग लगा करते थे अब वह केवल एक मशीन के द्वारा किया जा सकता है। ऑफिसों में, कारखानों में, उद्योगों में सभी जगह मशीनों का उपयोग होने लगा है जिससे उन जगहों पर काम करने वाले मजदूरों का रोजगार खत्म होता जा रहा है।
4. गरीबी की समस्या
भारत एक ऐसा देश है जहां अमीर अमीर होता जा रहा है और गरीब दिन-ब-दिन गरीब होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में उच्च और अच्छी शिक्षा केवल वही प्राप्त कर सकते हैं जो धनी हो। आज के समय में यदि किसी को अच्छे विश्वविद्यालय में जाना हो तो वहां लाखों की फीस भरनी होती है और सरकारी विश्वविद्यालयों में अधिक कंपटीशन होने के कारण सभी युवा अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। जिसका नतीजा बेरोजगारी के रूप में देखने को मिल रहा है।
5. आरक्षण
पिछड़ी क्षेत्र और वर्गों को आगे लाने के लिए आरक्षण एक बहुत ही अच्छा एवं सार्थक कदम है परंतु इसके कारण बहुत से विद्यार्थियों को योग्यता होने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता। कॉलेजों में और सरकारी नौकरियों में कुछ प्रतिशत आरक्षण यानी रिजर्वेशन का अलग कर दिया जाता है। इससे उन विद्यार्थियों के साथ अन्याय होता है जो योग्य होने के बाद भी आरक्षण के कारण पीछे रह जाते हैं और वह विद्यार्थी जो उस नौकरी के लिए उतने योग्य नहीं है वह आरक्षण के कारण आगे बढ़ जाते हैं।
बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment)
1. मौसमी बेरोजगारी
मौसमी बेरोजगारी ऐसी बेरोजगारी है जो कुछ समय के लिए रोजगार प्रदान करती है। यानी कि ऐसे रोजगार जो कुछ महीने तो रोजगार प्रदान करते हैं और कुछ महीने नहीं। मौसमी बेरोजगारी खासतौर पर कृषि क्षेत्र में देखी जाती है जहां कुछ चीजो का उत्पादन वर्ष के केवल कुछ ही महीनों में होता है और बाकी महीनों में कृषि पर निर्भर लोगों को खाली रहना पड़ता है जिसका असर कारखानों पर भी पड़ता है।
2. चक्रीय बेरोजगारी
जब व्यापार चक्र में मंदी आ जाने पर अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है तो यह चक्रीय बेरोजगारी कहलाती है। अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव होने के कारण कम उत्पादन होता है जिस वजह से बहुत से लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है।
3. संरचनात्मक बेरोजगारी
संरचनात्मक बेरोजगारी उसे कहते हैं जब किसी देश में किसी भी चीज का उत्पादन खत्म होता जाता है। हमारे देश में धीरे-धीरे स्कूटर, टेलीफोन आदि का उत्पादन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जिस वजह से उन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को भी धीरे-धीरे कम किया जा रहा है और वह बेरोजगार हो रहे हैं।
4. प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी
प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी वह बेरोजगारी कहलाती है जब एक व्यक्ति किसी एक व्यवसाय को छोड़कर दूसरे व्यवसाय में जाता है तो दोनों के बीच का जो समय होता है- जब वह पिछला व्यवसाय का छोड़ना और नया व्यवसाय ढूंढना, तो इस काल में वह बेरोजगार रहता है।
5. स्वैच्छिक बेरोजगारी
इस प्रकार की बेरोजगारी में व्यक्ति अपनी इच्छा से काम नहीं करता है। इसमें रोजगार तो उपलब्ध होता है परंतु कुछ लोग, रोजगार में या तो दिलचस्पी नहीं रखते या फिर उससे मिलने वाली तनख्वाह से अक्सर असंतुष्ट होकर वह नौकरी नहीं करते हैं।
6. अनैच्छिक बेरोजगारी
इस प्रकार की बेरोजगारी में व्यक्ति तय तनख्वाह पर नौकरी तो करना चाहता है परंतु उसे रोजगार नहीं मिल पाता।
बेरोजगारी को बढ़ने से रोकने का उपाय (How to Control Unemployment)
हमारे देश की सरकार ने बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत सी नीतियां बनाई हैं जैसे
मेक इन इंडिया, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, आत्मनिर्भर भारत, मुद्रा लोन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना आदि।
इसके साथ ही स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया जिसमें लोग पढ़ाई के अलावा और भी कोई कौशल कला सीखे जिससे आगे जाकर बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सके।
बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए आज के युवाओं को नौकरी के पीछे भागने की जगह औद्योगिकरण के बारे में सोचना चाहिए। लघु उद्योगों से देश में पैसा भी बढ़ेगा और बेरोजगारी भी कम होगी।
इसके साथ ही साथ मशीनीकरण पर हद से ज्यादा इस्तेमाल करने की रोक लगाई जानी चाहिए और साथ ही कारखानों में मजदूरों को उच्च वेतन प्रदान करना चाहिए।
साथ में देश में फैली बुराई जैसे भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, आतंकवाद, चोरी, डकैती आदि पर कठोर कदम उठाने चाहिए। आरक्षण का गलत इस्तेमाल होने पर लगाम लगानी चाहिए और योग्य व्यक्तियों को उनके हक का रोजगार मिलना चाहिए।
साथ ही सरकार द्वारा बनाई गई अनेक नीतियों से लोगों को जुड़ना चाहिए और उसके बारे में जानकर उसका लाभ उठाना चाहिए। हमारी सरकार को लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए। उनको आसानी से अपना उद्योग शुरू करने के लिए लोन चाहिए ताकि ऐसे बहुत से लघु उद्योग देश में शुरू हो और देश में रोजगार पैदा हो सके।
हमें किसी की नौकरी का इंतजार करने की जगह स्वयं इस काबिल बनना होगा कि हम अपने साथ-साथ और लोगों को भी रोजगार दे सकें। हमें किसी भी काम को छोटा समझ कर ठुकराना नहीं चाहिए, बेरोजगारी से बेहतर है छोटा रोजगार।
देश में सभी को शिक्षा का हक तो है परंतु समान शिक्षा का नहीं। सरकार को कुछ ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें केवल अमीर बच्चे ही नहीं बल्कि सभी योग्य बच्चे अच्छे स्तर पर शिक्षा प्राप्त करके रोजगार प्राप्त कर सकें। बढ़ती हुई जनसंख्या बेरोजगारी का मुख्य कारणों में से एक है। सरकार को छोटे परिवार के लिए लोगों को जागृत करना चाहिए।
इसके साथ ही देश की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना होगा, हमें किताबी पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कला और शारीरिक श्रम भी सीखनी चाहिए जिसमें हमारी बौद्धिक उन्नति हो ताकि वह कला आगे जाकर हमारा रोजगार भी बन सके।
उपसंहार (Conclusion)
बेरोजगारी की समस्या को कम करना बहुत आवश्यक हो गया है। रोजगार न मिलने पर लोग गलत चीजों में पढ़ रहे हैं जैसे भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती इत्यादि। इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार प्रदान करना आसान नहीं है लेकिन यदि हम सब सरकार के साथ मिलकर अपने देश में स्वयं रोजगार पैदा करें तो अवश्य ही हम इस बेरोजगारी की समस्या पर काबू पा लेंगे।
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