Visit To Orphanage Essay

Visit To Orphanage Essay | अनाथालय की मेरी यात्रा

Visit To Orphanage Essay


    भूमिका

    अक्सर आपने अनाथ बच्चों और अनाथालय के बारे में सुना होगा। इन अनाथ बच्चों के बारे में सुनते ही हमारे दिल में करुणा जाग उठती है। क्योंकि हमें पता है कि इन अनाथालयों में रहने वाले बच्चे, वे बच्चे होते हैं जिनके पास अपना कोई नहीं होता, जो बेसहारा होते हैं।

    अनाथालय में रहने वाले बच्चे कई बार माता-पिता की मृत्यु होने, उनके द्वारा त्याग दिए जाने या फिर किसी त्रासदी के शिकार हो जाते हैं और यही वजह है कि उन्हें इन अनाथालयों में रखा जाता है। अनाथालयों में उनकी शिक्षा, खानपान और इसके साथ ही सभी मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुएं उन्हें प्रदान की जाती है जिससे उनकी अच्छी परवरिश की जाती है। लेकिन वे समाज से बिल्कुल अलग रहते हैं।

    ऐसे में इन बच्चों को यह बताने के लिए कि वह भी हमारे समाज का हिस्सा है। हमें अनाथालयों में जरूर जाना चाहिए। हमारे अनाथालयों में जाने से उन बच्चों को यह लगेगा कि वे समाज का हिस्सा होने के साथ ही हम लोगों की तरह हैं। आइए अनाथालय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

    अनाथ कौन होते हैं?

    अनाथालय जैसे शब्द को सुनकर हमारी समझ में आता है कि वे बच्चे अनाथ कहलाते हैं जिनके माता-पिता दोनों का देहांत हो चुका है। इसके अलावा कई बार अनाथ उन बच्चों को भी कहा जाता है जिनके माता-पिता जीवित होते हुए भी अज्ञात हो या फिर उन्होंने अपने बच्चों का त्याग कर दिया हो।

    हालांकि अनाथ बच्चों की पहचान के लिए अलग-अलग तरह के निकाय अलग-अलग परिभाषाएं देते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की न्यायिक व्यवस्था में मौजूद कानूनी परिभाषा के मुताबिक, ‘वे नाबालिग बच्चे अनाथ कहलाते हैं जिनके माता-पिता की मृत्यु, उनका गुम हो जाना, उनके द्वारा परित्याग या फिर निर्वासन करना या फिर माता-पिता से अलग होना।

    इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), एचआईवी और एड्स व संयुक्त कार्यक्रम (UNAIDS) तथा अन्य संगठनों के अनुसार वे बच्चे अनाथ हैं जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को भी खो दिया है। संयुक्त राष्ट्र की शब्दावली के मुताबिक वह बच्चा जिसने अपनी मां को खोया है वह ‘मातृक अनाथ’ कहलाएगा। वही जिसने अपने पिता को पाया है वह ‘पैतृक अनाथ’ कहलाएगा। जबकि एक दोहरा अनाथ वह बच्चा है जिसने माता-पिता दोनों को खो दिया है।

    यूं तो हर दिन कोई ना कोई भी बच्चा अनाथ जरूर होता है। हालांकि बच्चे बड़ी मात्रा में अनाथ तब होते हैं जब कोई युद्ध और महामारी फैल जाए। द्वितीय विश्वयुद्ध ने बड़ी संख्या में अनाथ बच्चों को पैदा किया। इसके अलावा अफगानिस्तान जैसे युद्ध ग्रस्त देशों में भी बड़ी संख्या में अनाथ बच्चे पाए जाते हैं।

    आइए अब जानते हैं कि अनाथालय क्या होता है?

    अनाथालय किसे कहते हैं?

    वह आवासीय संस्था जो अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए समर्पित होती है, उसे अनाथालय कहा जाता है। हालांकि अनाथालय में रहने वाले ज्यादातर बच्चे अनाथ नहीं होते कई बार इन अनाथ बच्चों के माता-पिता इनका त्याग कर देते हैं। कई बार गरीबी की वजह से भी बच्चों को अनाथालय में भेज दिया जाता है।

    हालांकि, अनाथालय में बच्चों को सिर्फ 18 वर्ष की आयु तक ही भोजन, आवास और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। जब यह बच्चे 18 वर्ष की आयु को पूरी कर लेते हैं तब इन्हें अनाथालय से बाहर जाने की अनुमति होती है। हालांकि कई बाहर 18 से 21 वर्ष के लड़कों और 18 से 25 वर्ष की लड़कियों को अनाथालय के बाद आफ्टर केयर होम्स में रहने दिया जाता है। लेकिन इन होम्स में बस उन्हें रहने की जगह दी जाती है। उन्हें खुद ही अपनी रोजगार और शिक्षा का प्रबंध करना पड़ता है।

    भारत में अनाथालय

    भारत उन 10 सबसे बड़े देशों में शामिल है जहां बड़ी संख्या में अनाथ और बेसहारा बच्चे पाए जाते हैं। यहां अनाथालय की तरह ही किशोर गृह को संचालित किया जाता है। इनका संचालन राज्य द्वारा किया जाता है। भारत में निजी अनाथालयों की भी बहुत बड़ी संख्या मौजूद है। यह अनाथालय विभिन्न ट्रस्ट, नागरिकों, धार्मिक समूह तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित किए जाते हैं।

    अनाथालय में कई बार बच्चों को गोद देने का प्रावधान किया जाता है। यह प्रक्रिया जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत की जाती है।

    हमें अनाथालय क्यों जाना चाहिए?

        • मन की शांति:- अनाथालय में जाकर हमें आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

        • सकारात्मक दृष्टिकोण:- कई बार अनाथालय में जाकर हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो जाता है इससे हमारा नजरिया जीवन के प्रति बदल जाता है।

        • प्यारा व स्वीकार्य महसूस कराना:- अनाथालय में जाकर हम अनाथ बच्चों को हमारा प्यार और उनका समाज में स्वीकार्य महसूस करा सकते हैं।

        • अनाथालय में जाकर हम इन गैर सरकारी संगठनों में दान कर सकते हैं जिससे इन बच्चों को मदद मिल सके।

    हालांकि कई बार लोग अनाथालय सिर्फ अपने हितों के लिए जाते हैं। बहुत से लोग सोशल मीडिया में अनाथ बच्चों के साथ और उन्हें तोहफा देते हुए फोटोस अपलोड करते हैं जिससे वे दुनिया को दिखा सके कि वह अच्छा काम कर रहे हैं। हालांकि ऐसा करना बिल्कुल गलत है। अनाथालय में जाने के लिए बहुत से लोग सोचते हैं कि हमें महंगी चीजें और महंगे तोहफे ले जाने चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है कि आप खाली हाथ बच्चों से मिलने जा सकते हैं।

    आपको इन बच्चों के साथ अपने विचारों और अपने प्यार को बांटना है। अगर आप महंगे तोहफे नहीं दे सकते तो आप उन बच्चों को कॉपी, किताब, पेंसिल, शार्पनर जैसी चीजें उपहार में दे सकते हैं जिससे वो पढ़ाई में अपना निवेश कर सकें। एक तरह की चीज देने से बच्चे आपको हमेशा याद रखेंगे। इसके अलावा आप अनाथ बच्चों को पढ़ा भी सकते हैं।

    निष्कर्ष

    ध्यान रहे कि जब भी आप अनाथालय में जाए तो कभी भी उन बच्चों को नकली स्नेह न दिखाएं। क्योंकि बच्चे इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है। अगर आपके पास बच्चों को देने के लिए कुछ ना हो तो आप बच्चों के साथ समय बिताने के लिए कहानियां सुनाएं। उन्हें क्या पसंद है, ना पसंद है इस बारे में बात करें। ध्यान रहे कि कभी भी बच्चों से उनकी पृष्ठभूमि के बारे में ना पूछे। इस तरह की बातें पूछने से यह बच्चों को दुख पहुंचा सकता है। जब तक बच्चा अपने पृष्ठभूमि के बारे में स्वयं बात करने को इच्छुक ना हो तब तक उनसे जबरदस्ती इस बारे में ना पूछे।

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