Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi | आत्मनिर्भर भारत पर निबंध
एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने गुणों का विकास करने में सफल होता है। क्योंकि वह किसी भी कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहता। इसी तरह अगर किसी देश के सभी नागरिक आत्मनिर्भर हो तो उस देश को विकास करने से कोई नहीं रोक सकता। भारत को विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक माना जाता है। भारत की संस्कृति अन्य सभी संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, मान्यताओं से बहुत अलग है। यही वजह है कि विदेशों से भी कई लोग भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद इसी संस्कृति के रंग में रंग जाते हैं।
एक समय था जब भारत भी पूरी तरह से आत्मनिर्भर था। लेकिन अंग्रेजी शासन के आने के बाद यह आत्मनिर्भरता कई हद तक खत्म होने लगी जिसके बाद गांधी जी ने आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना सबके सामने रखी। और इसी आत्म निर्भर भारत की संकल्पना को हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाया। इस आर्टिकल में हम आपको आत्मनिर्भर भारत पर हिंदी निबंध बताएंगे। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि आत्मनिर्भर का अर्थ क्या होता है?
आत्मनिर्भर का अर्थ क्या होता है?
आत्मनिर्भर दो शब्दों के मेल से बना है, एक है आत्म यानी की ‘स्वयं’ और दूसरा निर्भर यानी की निर्भरता। तो आत्मनिर्भर का अर्थ हुआ ‘स्वयं पर निर्भरता’। आत्मनिर्भर शब्द का इस्तेमाल किसी व्यक्ति, समुदाय या देश के लिए किया जाता है। इसका मतलब है वह व्यक्ति जो अपने सभी विशेष कार्य बिना किसी के सहारे के स्वयं पूरा कर पाता है, वह आत्मनिर्भर कहलाता है।
वहीं आत्मनिर्भर समुदाय यानी कि वह समुदाय जो अपनी सभी जरूरतों को आपस में मिलकर पूरा कर लेता है, वह आत्मनिर्भर समुदाय कहलाएगा जबकि आत्मनिर्भर देश वह होगा जो कि उत्पादन और वितरण के साधनों के लिए दूसरों पर निर्भर ना रहे।
आत्मनिर्भर शब्द को किसी व्यक्ति के संदर्भ में एक उदाहरण द्वारा समझ सकते है। मान लीजिए कि आप किसी दूसरे शहर में पढ़ाई के लिए आए हैं। आप इस शहर में अपने आर्थिक खर्चे, अपना रहना खाना, पढ़ाई सभी जिम्मेदारी बिना किसी की मदद के कर रहे हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि आप आत्मनिर्भर हैं।
आसान शब्दों में कहें तो आत्मनिर्भर का मतलब बिना किसी के सहारे या भरोसे सभी विशेष काम स्वयं करना है। कई बार आपने आत्मनिर्भर भारत शब्द सुना होगा। अब यह आत्मनिर्भर भारत का क्या अर्थ है? इसका तात्पर्य है, एक ऐसा भारत जहां के लोग और शासन व्यवस्था बिना किसी अन्य के सहारे अपनी सभी जरूरतों की पूर्ति अपने ही देश यानी कि भारत में रहकर पूरा करने में सक्षम हो।
आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया। आइए जानते हैं आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?
आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?
भारत को एक आत्मनिर्भर देश बनाने की संकल्पना कई सालों पहले देखी गई थी। इस संकल्पना को सच करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की। इसकी घोषणा तब की गई जब भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी। प्रधानमंत्री ने अपनी घोषणा में बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ज्यादातर वस्तुओं का निर्माण देश में ही किया जाए। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था विदेशी देशों पर अपनी निर्भरता को खत्म करना। जैसा कि आप जानते हैं भारत कई देशों के साथ व्यापार करता है तथा ज्यादातर चीजों के लिए यह दूसरे देशों पर निर्भर है। इसी निर्भरता को खत्म करना आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य है।
अगर बात करें भारत की निर्भरता की तो वर्तमान समय में भारत दैनिक उपयोग की वस्तुओं से लेकर सभी महत्वपूर्ण वस्तुओं के लिए चीन देश पर निर्भर है। यही वजह है कि भारत में आत्मनिर्भर अभियान के जरिए इस निर्भरता को खत्म करना जरूरी था। जब आत्मनिर्भर भारत अभियान कि घोषणा की गई तब इसके बाद कई चीनी वस्तुओं पर पाबंदी लगाई गई। इसके अलावा भारत चीन ही नहीं अन्य कई देशों पर भी निर्भर है जिसमें अमेरिका, कोरिया, सऊदी अरेबिया आदि शामिल है।
आत्मनिर्भर भारत का इतिहास और महात्मा गांधी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना गांधीजी से ली है। दरअसल, ब्रिटिश शासन से मुक्ति की लड़ाई में महात्मा गांधी ने कई आंदोलन चलाए। यह अहिंसक आंदोलन ज्यादातर विदेशी वस्तुओं को त्यागने और स्वयं आत्मनिर्भर बनने पर आधारित है। जैसा कि आप जानते हैं महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया था। 1930 में चलाए गए इस आंदोलन में उन्होंने विदेशी वस्तुओं को त्याग दिया और स्वयं भारतीय वस्तुओं को अपनाने कि पहल की थी जिसके बाद बड़ी मात्रा में लोगों ने विदेशी वस्तुओं का त्याग किया तथा उनका दहन किया।
भारतीय इतिहास में महात्मा गांधी ऐसे पहले शख्स रहें जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत पर बल दिया था। महात्मा गांधी स्वयं भी स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल किया करते थे। वे स्वयं चरखे की मदद से बनाए गए खादी के वस्त्र पहना करते थे। इतना हम कह सकते हैं कि भारत को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा महात्मा गांधी से मिली है।
अगर भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाता है तो इसके कई लाभ होंगे। आइए जानते हैं कि अगर भारत आत्मनिर्भर बनता है तो इसके क्या लाभ भारत को मिलेंगे।
आत्मनिर्भर भारत के लाभ
1. दूसरों पर निर्भरता खत्म
2. उद्योग धंधों में फैलाव
3. रोजगार के अवसर में बढ़ोतरी
4. गरीबी को मात
5. अर्थव्यवस्था का विकास
6. विदेशी पूंजी में बढ़ोतरी
जब भारत दूसरे देशों से आयात करना बंद कर देगा और स्वयं ही दूसरे देशों को अपना माल निर्यात करेगा तब भारत में विदेशी पूंजी भी बढ़ने लगेगी।
यह तो रहे कुछ फायदे जो भारत को तब मिलेंगे जब भारत पूरी तरह से एक आत्मनिर्भर देश बन जाएगा। हालांकि भारत के इस आत्मनिर्भर बनने की राह में कई चुनौतियां भी मौजूद है। आइए जानते हैं यह क्या चुनौतियां हैं।
आत्मनिर्भर भारत की चुनौतियां
1. प्रोत्साहन की कमी
भारत में आत्मनिर्भर बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती है प्रोत्साहन की कमी क्योंकि आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए कुछ प्रोत्साहन की जरूरत होगी। अगर सरकार हस्त कारीगरों को प्रोत्साहन देती है तथा आर्थिक मदद प्रदान करती है तो इससे देश आत्मनिर्भर बन सकेगा। लेकिन वर्तमान समय में प्रोत्साहन की कमी की मार हर देशी उद्योग झेल रहा है।
2. आर्थिक दबाव
3. तकनीक की कमी
यह चुनौतियां तो हमेशा से रहीं हैं और आगे भी रहेंगी। लेकिन अगर इन चुनौतियों से लड़कर हम आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करते हैं तो हमारे देश को प्रगति करने से कोई नहीं रोक सकता। भारत ने कुछ बड़े कदमों के जरिए आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की पहल भी कर दी है। इसका ताजा उदाहरण है भारत द्वारा कोरोना टीके को बनाना। ऐसे में हम कह सकते हैं कि भारत, आत्मनिर्भर बनने की राह में कदम आगे बढ़ा रहा है।
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